उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का माहौल है और इस दौरान राजनीतिक दलों के बीच जुबानी जंग भी तेज होती जा रही है. प्रत्याशियों के एलान के साथ ही नेताओं ने आरोप-प्रत्यारोप लगाने भी शुरू कर दिए है. राजनीति की इस उठापठक में चुनाव जीतने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. नेताओं का पार्टी बदलने का सिलसिला भी लगातार जारी है.
गाजियाबाद में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की. यहां अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों ने अपने आंदोलन के ज़रिये भाजपा को झुकने के लिए मजबूर कर दिया है. आखिरकार भाजपा को तीनों काले कृषि कानून वापस लेने पड़े. सरकार की नकामी के कारण गरीबी बढ़ी है.
अखिलेश ने आगे कहा कि अगर ये सरकार चाहती तो कोरोना के दौरान सभी मजदूरों को घर पहुंचा सकती थी. हम सब ने देखा है कि कितने मजदूर घर पहुंचे और कितनों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. 90 से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई. सरकार ने इनकी कोई मदद नहीं की. उन सभी 90 लोगों के घरवालों को हमने एक-एक लाख की मदद की.
कोरोनाा के दौरान एमएसएमई सेक्टर सबसे ज्यादा बर्बाद हुआ है. इस सेक्टर को सुधारने के लिए अगर अलग से पैकेज लाना पड़ा, तो हम वो भी करेंगे. यहां एक साइकिल का पुराना कारखाना बंद होने की कगार पर था, वहां भी समाजवादी के लोग पहुंचे थे. सपा की सरकार सत्ता में आने के बाद साइकिल के इन बंद पड़े कारखानों को फिर से शुरू करेगी. अगर लोगों को रोजगार और नौकरी देने के लिए, हमें कोई बड़ा पैकेज देना पड़ेगा तो हम वो भी देंगे.
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