रिपोर्ट, रितिक व रौशनी: दिनांक 6 अप्रैल 2022, वजीराबाद रोड स्थित दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीमराव अंबेडकर कॉलेज में हिंदी पत्रकारिता विभाग की ओर से ‘डिजिटल मीडिया के विविध आयाम’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ।कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.आर. एन. दुबे ने कहा कि डिजिटल मीडिया अभिव्यक्ति की आजादी का स्वतंत्र आधार स्तंभ बन चुका है। कोरोना काल में भी सोशल और डिजिटल मीडिया ने लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका निभाई।
प्रो दूबे ने कहा कि छात्रों को डिजिटल मीडिया की तरफ अपने कदमों को बढ़ाना चाहिए, ताकि वह उन्मुक्त होकर पत्रकारिता को जीवित रख सके।
कार्यक्रम दो सत्रों में संपन्न हुआ। प्रथम सत्र के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि डिजिटल मीडिया में फायदे भी है और संभावनाएं भी जो आपको एक अलग प्लेटफार्म देती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अगर आपका मोबाइल एक मिनट के लिए गायब हो जाए तो आप बौखला जाएंगे यही डिजिटल मीडिया की ताकत है। आपका सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया हमेशा आपके साथ रहता है। अब तो डिजिटल मीडिया का विस्तार गूगल का परिवार बन चुका है ,गूगल पर हजारों लाखों वेबसाइट और नए-नए कंटेंट आपको मिल जाएंगे।
कार्यक्रम के दौरान ज़ी न्यूज़ डीएनए के संपादक सुशांत मोहन ने अपनी बात रखते हुआ कहा कि अब हम अखबार से डिजिटल मीडिया पर आ चुके हैं। और यह समय डिजिटल क्रांति का समय है। यह आपको तय करना है कि आपको किस कंटेंट के लिए काम करना है।
दैनिक जागरण के सह-संपादक अनंत विजय ने अपने विचार रखते हुए कहा कि यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि डिजिटल को हम सोशल नहीं बोल रहे हैं। सोशल मीडिया कहना गलत है पश्चिम की प्रभाव में हम यह कहने लगे हैं। आज तो बॉलीवुड भी यथार्थ की दुनिया से अलग होता जा रहा है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने फिल्मों का लोकतांत्रिकरण कर दिया है। स्टारडम की जाति व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। आप स्किल डेवलप कीजिए रोजगार आपके पास चलकर आएगा।
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प्रथम सत्र के अंत में प्रो ममता वालिया ने सभी का आभार और धन्यवाद प्रकट किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रो दूबे ने कहा कि कॉलेज के एलुमनायी को कॉलेज में एडिशनल कोर्स के लिए कुछ करना चाहिए। आज मीडिया को देखकर लगता है कि सब कुछ इसमें नेगेटिव ही चलता है। लेकिन हमें भरोसा है कि हमारे छात्र इसे पॉजिटिव करेंगे।
दिल्ली विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय संबंध के अधिष्ठाता प्रो. अनिल राय ने कहा कि हर चैनल की अपनी प्रतिबद्धता है और वह अपने हिसाब से ख़बरों को परोसना चाहता है। यह दर्शक के ऊपर निर्भर करता है कि उसे क्या देखना है? कितना देखना है? और किस रूप में देखना है ? आज का युग सूचना की क्रांति का युग है। पूरा ब्रह्मांड सूचनाओं से भरा हुआ है और डिजिटल मीडिया इसे सरल बना रहा है।
आईआईएमसी उर्दू पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद सैनी ने अपनी बात को रखते हुए कहा कि मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलो में उड़ान होती है। सवाल खड़े करना मीडिया का काम है, लेकिन सवालों का समाधान करना भी मीडिया का ही काम है और अब समय डिजिटल मीडिया का है, ज्यादा से ज्यादा रोजगार की संभावनाएं अब सिर्फ डिजिटल मीडिया में ही नजर आ रही है।
इसी श्रृंखला में द टाइम्स ऑफ इंडिया की समाचार संपादक रीवा सिंह ने बताया कि अगर आपके हाथ में मोबाइल है, तो आप स्वयं में एक पत्रकार हैं बस आपको लिखना, पढ़ना और बोलना आना चाहिए। डिजिटल मीडिया हमेशा से एक ट्रांसफॉर्मेशन के स्टेज में रहा है।
एबीपी स्टूडियो के निदेशक संजय नंदन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मुझे इस बात का गर्व और खुशी है कि मैं अंबेडकर कॉलेज का विद्यार्थी रहा हूं। अभी मीडिया में अराजक समय नहीं है बदलाव का समय है। यह दर्शक वर्ग को समझना जरूरी है कि उन्हें क्या चाहिए ?और कितना चाहिए?
संगोष्ठी के संयोजक डॉ बिजेंद्र कुमार ने कहा कि आज के डिजीटल युग में डिजीटल मीडिया में छात्रों को नए अवसरों से अवगत कराने की जरूरत है। डिजिटल मीडिया बस अब एक क्लिक की दूरी पर है सारे काम एक क्लिक पर ही पूरे हो जाते है, ये सब कुछ मैजिक जैसा हो गया है।
हिंदी विभाग के प्रभारी डॉ राजबीर वत्स ने कहा कि इस संगोष्ठी के माध्यम से विद्यार्थियों को डिजिटल मीडिया कि नई तकनीक से अवगत होने का मौका मिला है। सत्र के अंत में डॉ महावीर वत्स ने सभी का आभार और धन्यवाद प्रकट किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ शशि रानी ने किया। कार्यक्रम में डॉ चित्रा रानी, डॉ दिलजीत कौर, डॉ संजय शर्मा, डॉ नरेंद्र भारती, डॉ मोनिका, डॉ विनीत कुमार, डॉ बिजेंद्र कुमार, डॉ प्रवीण, डॉ राकेश, डॉ शशि रानी, डॉ कुसुम, डॉ रामप्रकाश सहित कई शिक्षक और विद्यार्थियों उपस्थित रहे।
This post was published on April 6, 2022 8:47 am