Hijab Row: सीनियर एडवोकेट ने दिया दक्षिण अफ्रीका की अदालत का हवाला

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हिजाब विवाद (Hijab Row) को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस विवाद में सुनवाई से पहले एक नया मोड़ देखने को उस समय मिला जब याचिकाकर्ता छह मुस्लिम छात्राओं ने एक नई याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि देश के कुछ राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, इसलिए इस मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है. छात्राओं को भी इसी लिए परेशान किया जा रहा है। अब इस मामले की सुनवाई बुधवार को भी होगी।

याचिकाकर्ता छात्राओं की तरफ से पेश हुए सीनियरी एडवोकेट देवदत्त कामत ने अदालत के सामने दक्षिण अफ्रीका की एक अदालत के फैसले का हवाला दिया। मामला यह था कि क्या दक्षिण भारत की रहने वाली कोई हिंदू लड़की स्कूल में नाक का आभूषण (नोज रिंग) पहन सकती है।

कामत ने अदालत में कहा कि इस पर दक्षिण अफ्रीका की अदालत ने अपने फैसले में कहा था, कि अगर ऐसे छात्र-छात्राएं और भी हैं जो अपने धर्म या संस्कृति को ज़ाहिर करने से डर रहे हैं, तो उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह डरने की नहीं जश्न मनाने की चीज है। कामत ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका की अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि धर्म और संस्कृति को सार्वजनिक प्रदर्शित करना विविधता का उत्सव है, जो हमारे स्कूलों को समृद्ध करता है।

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सीनियर एडवोकेट ने कहा कि हमारा संविधान तुर्की की तरह नकारात्मक धर्मनिरपेक्षता का नहीं बल्कि सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता का पालन करता है। उन्होंने आगे कहा कि हमारी ये धर्मनिरपेक्षता सभी लोगों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करती है।

इन छात्राओं ने सोमवार को हिजाब मामले (Hijab Row) की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट से कहा था कि मुस्लिम छात्राओं को स्कूल की यूनिफॉर्म के रंग से मिलता जुलता हिजाब पहनने की इजाज़त दी जाए। ये उडुपी के प्री यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेज की छात्राएं हैं। छात्राओं ने कहा कि हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा है और इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है। केंद्रीय विद्यालयों में भी यूनिफॉर्म के रंग का हिजाब पहनने की इजाज़त होती है।

छात्राओं ने कुछ स्थानों पर परीक्षाओं का बहिष्कार किया

इस विवाद के बीच राज्य में लड़कियों ने कुछ स्थानों पर प्री परीक्षा का बहिष्कार कर दिया है। कुछ स्थानों पर अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। कई छात्राओं ने शिवमोग्गा शहर के कर्नाटक पब्लिक स्कूल में 10वीं कक्षा की प्रारंभिक परीक्षा का बहिष्कार किया है। स्कूल की एक छात्रा हिना कौसर का कहना है कि स्कूल में प्रवेश करने से पहले मुझे हिजाब हटाने के लिए कहा गया था। इसलिए मैंने फैसला किया है, कि मैं परीक्षा नहीं दूंगी।

This post was published on February 15, 2022 6:54 am