बुलंदशहर हिंसा केस में 36 लोगों पर चलेगा देशद्रोह का मुकदमा

Photo:- Social Media

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बुलंदशहर जिले के सियाना कस्बे में 2018 में हुई हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार हत्याकांड मामले में छत्तीस आरोपियों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाएगा। इन आरोपियों में जिला पंचायत सदस्य और बजरंग दल का नेता योगेश राज भी शामिल हैं। योगेश राज समेत पांच आरोपियों पर इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का आरोप है। हिंसा वाले दिन इंस्पेक्टर सुबोध की मौत हो गई थी।

एडिशनल सेशन कोर्ट ने देशद्रोह के आरोप में सुनवाई का आदेश दिया है. इससे पहले बुलंदशहर में सियाना कोतवाली पुलिस ने मामले में देशद्रोह का केस दर्ज कर सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी. उन्हें सरकार से अनुमति मिल गई थी, लेकिन अब उनकी अर्जी कोर्ट में दाखिल की गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एडिशनल सेशन जज विनीता सिंघल ने आरोपी पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है. अदालत ने पाया कि भीड़ के साथ मिल कर 36 आरोपियों ने कानून व्यवस्था को बाधित किया, अराजकता फैलाई और हिंसा भड़काई। यह सब करना धारा 124ए के तहत अपराध है।

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ध्यान रहे कि 2018 में जब बलंदशहर के सियाना में एक खेत से गाय के अवशेष बरामद हुए थे, तब हिंदू संगठनों ने गाय को मारने का आरोप लगाते हुए, इलाके में हिंसा की थी. इसके बाद हिंसा फैलाने वालों ने पथराव किया और चिंगरौठी पुलिस चौकी व वहां खड़ी दर्जनों गाड़ियों में आग लगा दी. इसी दौरान सियाना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई और उनकी पिस्टल व मोबाइल फोन लूट लिया गया.

बुलंदशहर हिंसा की एसआईटी जांच के बाद पुलिस की एफ़आईआर में 27 नामजद और 60 अज्ञात आरोपी थे। इनमें से कई हिंदुत्व नेताओं समेत 44 आरोपियों को जेल भेज दिया गया. इसके अलावा कथित गोहत्या के मामले में 11 आरोपियों को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. जेल से जमानत पर रिहा हुए बुलंदशहर हिंसा के तीन आरोपियों की मौत हो गई है। जबकि दो आरोपियों का मामला पोक्सो कोर्ट और जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है.

बुलंदशहर हिंसा के दौरान सुबोध सिंह की हत्या को लेकर कई सवाल उठे थे. फिर खबर आई कि उन्हें इसलिए मारा गया क्योंकि वह एक ईमानदार अधिकारी थे। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह नोएडा के दादरी में हुए अख़लाक़ हत्याकांड के जांच अधिकारी थे.

यूपी के तत्कालीन प्रिंसिपल सेक्रेटरी अरविंद कुमार ने कहा था, कि सुबोध कुमार सिंह 28 सितंबर 2015 से 9 नवंबर 2015 तक अख़लाक़ हत्याकांड में जांच अधिकारी थे. बाद में उनका ट्रांसफर बनारस कर दिया गया। उस वक्त तबादले पर भी सवाल उठे थे. अखलाक की हत्या के समय सुबोध नोएडा के जरचा थाने के प्रभारी थे. सुबोध की मौत ऐसे समय में हुई थी, जब दादरी मामले की जांच फिर से शुरू होने वाली थी।

This post was published on March 17, 2022 1:40 am