उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में क़ैद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी राजभर की सोहेल देव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) से जेल से ही मऊ सदर सीट से चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने सभी कागजी कार्रवाई पूरी कर ने के बाद अदालत से अनुमति मांगी थी जिसे मंजूर कर लिया गया है। मुख्तार अब जेल से नामांकन प्रक्रिया पूरी करेंगे।
मुख्तार अंसारी के वकील दरोगा सिंह ने पुष्टि की है कि उन्होंने विशेष न्यायाधीश (एमपी / एमएलए) अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की थी जिसमें मुख्तार के वकील, नोटरी वकील, प्रस्तावक और फोटोग्राफर ने कागज़ी कार्रवाई पूरी करने के लिए बांदा जेल में उनसे मिलने की अनुमति मांगी थी।
वकील ने कहा कि मऊ सदर सीट से से नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया को लेकर दायर की गई याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी राजभर की एसबीएसपी ने मऊ सदर सीट से अपने टिकट पर चुनाव लड़ाने का फैसला किया है. अदालत के समक्ष मामले में पार्टी का चिन्ह ‘छड़ी’ और अन्य सभी आवश्यक दस्तावेज संलग्न किए गए हैं।
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मुख्तार अंसारी ने 1996 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मऊ सदर विधानसभा सीट से जीते थे। उन्होंने तब से लगातार सभी चुनाव जीते हैं और यह छठी बार होगा जब वह इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले उनकी पार्टी, क़ौमी एकता दल का बसपा में विलय हो गया था। मुख्तार ने इस सीट पर एसबीएसपी के महेंद्र राजाभर को ही हराया था।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक पूर्वी यूपी के इस इलाके में आर्थिक साम्राज्यवाद के खिलाफ अभियान में मुख्तार अंसारी गुट को करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. 22 दिसंबर, 2021 को उनके बेटे की संपत्ति को जब्त कर लिया गया था। पुलिस ने इमारतों पर बुलडोजर चलवा कर, चल और अचल संपत्ति को जब्त करने के अलावा, रंगदारी और मछली व्यवसाय, पीडब्ल्यूडी और अन्य सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट हथियाने के ज़रिये इस गुट की अवैध कमाई को टारगेट किया है।
गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी राजभर की सोहेल देव भारतीय समाज पार्टी, जिसने इस चुनाव में मुख्तार अंसारी को टिकट दिया है, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। मुख्तार के बड़े भाई अफजल अंसारी बसपा से सांसद हैं, जबकि उनके दूसरे भाई सिबगतुल्लाह अंसारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर से चुनाव लड़ रहे हैं.
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