July 26, 2024
क्लासरूम का सिनेमा

कला एक ऐसा कौशल है जिसके लिए कोई बाउंड्री नहीं होती : प्रो आरएन दुबे

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BY-रौशनी व अंकित

वजीराबाद रोड स्थित दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीमराव अंबेडकर कॉलेज में हिंदी विभाग की ओर से क्लासरूम का सिनेमा विषय पर राष्ट्रीय फ़िल्म कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के प्रचार्य प्रो.आर.एन दुबे ने कहा कि कला एक ऐसा कौशल है जिसके लिए कोई बाउंड्री नहीं होती। कला की कोई सीमा नहीं होती। कला तो एक हवा की तरह है जो स्वच्छंद होकर हर एक प्रकृति में ढल जाती है।क्लासरूम का सिनेमा के जरिए कई सारे अलग-अलग विचार एक साथ आ सकेंगे जिससे हमारे छात्रों को कला के क्षेत्र में एक नया प्लेटफार्म भी मिल सकेगा।

कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद दीप्ति खुराना ने कहा कि सिनेमा की एक मूलभूत जरूरत कहानी है,कहानियां हमारे जीवन का हिस्सा हमेशा से रही हैं। बिना कहानी के हम किसी भी सिनेमा की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

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वक्ता केशव कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि सिनेमा चलती तस्वीरों का और अपनी कला को प्रदर्शित करने का एक स्वतंत्र खजाना है। सिनेमा किसी भी विषय को उसकी गहराइयों तक छूने की कोशिश करता है। कहानियों को ढूंढना मुश्किल है लेकिन कहानियां भी हमारे आस पास ही है बस जरूरत है उनको टटोलने की।

कार्यक्रम की संयोजिका डॉ चित्रा ने अपने विचारों को रखते हुए कहा कि क्लासरूम का सिनेमा ही आपकी जड़े मज़बूत करता है।सिनेमा इस बात पर ज़ोर देता है की दर्शकों का रुझान किस ओर है और वर्तमान में देखे तो आज की सिनेमा की तस्वीरें बदलती हुई नज़र आ रही हैं। हम अपने प्रतिदिन के जीवन से कला और सिनेमा को ललित बना सकते हैं ताकि सिनेमा सजीव और जीवित नज़र आए।

हिंदी विभाग के प्रभारी राजवीर वत्स ने कहा कि कला और कहानी सिनेमा को जन्म देती है और इस कार्यशाला के माध्यम से विद्यार्थियों को सिनेमा की नई तकनीक से अवगत होने का मौका मिला है।

कार्यशाला के अंत में डॉ विनीत कुमार ने सभी का आभार और धन्यवाद प्रकट करते हुए कहा कि हर छात्र के अंदर एक मेल या फीमेल प्रोटाग्निस्ट मौजूद होता है। हम सब की कोशिश यही है कि हर छात्र के भीतर के प्रोटाग्निस्ट को स्टेज तक लाकर खड़ा किया जा सके। आज हम शोर से सिनेमा बना सकते हैं और सिनेमा से शोर भी बनाया जा सकता है।

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कार्यशाला का संचालन हिंदी पत्रकारिता के छात्र मुकुंद और आंचल ने किया। इस कार्यशाला के आयोजन में डॉ चित्रा रानी, डॉ दिलजीत कौर, डॉ संजय शर्मा, डॉ नरेंद्र भारती, डॉ मोनिका, डॉ विनीत कुमार, डॉ बिजेंद्र कुमार, डॉ प्रवीण, डॉ राकेश, डॉ शशि रानी, डॉ कुसुम, डॉ रामप्रकाश सहित कई शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।