प्रेस विज्ञप्ति: कला महाविद्यालय 1942 में स्थापित दिल्ली विश्वविद्यालय सह-संबंधित एक ऐसा संस्थान है जो दृश्य कला (रचनात्मक और अनुप्रयुक्त) में उन्नत प्रशिक्षण में अग्रणी है। यह महाविद्यालय ललित कला स्नातक (बीएफए) और ललित कला (एमएफए) में मास्टर डिग्री के लिए जाना जाता है। यह महाविद्यालय अपनी स्थापना के बाद से ही दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने अध्यादेश XVIII, अध्याय VII – दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज एवं हॉल कैलेंडर (अधिनियम, क़ानून और अध्यादेश) के तहत कला महाविद्यालय को स्थायी संबद्धता प्रदान की गयी है। यह महाविद्यालय रचनात्मकता प्रदान करने वाली संस्था है, जो पिछले 80 वर्षों से दिल्ली विश्वविद्यालय का एक अभिन्न अंग रहा है।
एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त केंद्रीय विश्वविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) से अलग कर इस महाविद्यालय को ‘स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स’ विभाग अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली में विलय या स्थानांतरित करने का अर्थ है कि इस कॉलेज को समाप्त किया जा रहा है। भारत की संसद में पारित दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिनियम के अनुसार, कला महाविद्यालय को अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली या किसी अन्य विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं किया जा सकता है।
डीयू: शिक्षकों की पेंशन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने, हाई कोर्ट के फैसले को रखा बरकरार
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दिनांक 11 मई, 2022 को दिल्ली सरकार द्वारा दाखिलों संबंधित नोटिस दोषपूर्ण और अवैध है। यह इस महाविद्यालय की अकादमिक स्वायत्तता और रचनात्मकता पर सीधा हमला है। दिल्ली सरकार इसे सीधे नियंत्रण में लेकर अपनी मनमानी करना चाहती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय ने कला कॉलेज की असंबद्धता को लेकर कोई एनओसी नहीं दी है। इस महाविद्यालय का अम्बेडकर महाविद्यालय दिल्ली का हिस्सा होना इस प्रसिद्ध महाविद्यालय के लिए एक अकादमिक आपदा है, जो डूटा को स्वीकार्य नहीं है।
डूटा दिल्ली सरकार से मांग करती है कि वह कला महाविद्यालय को अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली में विलय या स्थानांतरित करने के नाम पर स्थानांतरित या बंद न किया जाए। इससे पूर्व के सभी अनैतिक आदेशों के साथ-साथ नवीनतम दाखिले की सूचना वाला दिनांक 11 मई, 2022 का नोटिस भी वापस ले। साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज ऑफ आर्ट में बीएफए और एमएफए पाठ्यक्रमों में 2021-22 और 2022-23 सत्रों का प्रवेश तुरंत शुरू होना चाहिए।
डूटा यह भी मांग करता है कि यदि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार इस प्रमुख कॉलेज को निधि देने के लिए अनिच्छुक एवं असमर्थ है तो विश्वविद्यालय को कार्यकारी परिषद की एक आकस्मिक बैठक बुलानी चाहिए और कला कॉलेज को अपने अधिकार में लेने के लिए एक प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए।
More Stories
दिल्ली विश्विद्यालय में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों के विस्थापन के विरोध में डूटा का प्रर्दशन
समायोजन समर्थन और विस्थापन विरोध में डी यू में डूटा का पैदल मार्च और प्रदर्शन
दिल्ली सरकार वित्तपोषित कॉलेजों में ग्रांट-कट के विरोध में मुख्यमंत्री आवास पर ड़ूटा का धरना