July 27, 2024
कोयला घोटाला

कोयला घोटाला: गुजरात में पिछले 14 सालों में 6,000 करोड़ रुपये का घोटाला

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कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया है कि गुजरात में पिछले 14 सालों में 6,000 करोड़ रुपये का कोयला घोटाला सामने आया है. उन्होंने कहा कि इस दौरान गुजरात सरकार की एजेंसियों ने छोटे और मध्यम उद्योगों को कोयले की आपूर्ति करने के बजाय दूसरे राज्यों के उद्योगों को अधिक कीमत पर बेचकर 6000 करोड़ रुपये का गबन किया है. कोल इंडिया की विभिन्न कोयला खदानों से निकाला गया कोयला उन उद्योगों तक नहीं पहुंचा जिनके लिए इसे निकाला गया था.

गौरतलब है कि पिछले 14 वर्षों में गुजरात के व्यापारियों और लघु उद्योगों के नाम पर कोल इंडिया की खदानों से 60 लाख टन कोयला भेजा गया है. इसकी औसत कीमत 3,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से 1,800 करोड़ रुपये है, लेकिन इसे व्यापारियों और उद्योगों को बेचने के बजाय अन्य राज्यों में इसे 8,000 रुपये से 10,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से बेचा गया है. प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए, गौरव ने कहा कि “2008 से ख़ूब खाऊंगा और ख़ूब खाने दूंगा का प्रोग्राम चल रहा था.

यूपीए सरकार ने 2007 में देश भर के छोटे उद्योगों को सस्ती कीमतों पर अच्छी गुणवत्ता वाला कोयला उपलब्ध कराने के लिए एक नीति तैयार की थी. इस नीति के तहत, गुजरात में छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए कोल इंडिया के वेस्ट कोल फील्ड और साउथईस्ट कोल फील्ड से हर महीने कोयला निकाला जाता है. गुजरात सरकार को कोयले से लाभान्वित होने वाले उद्योगों की सूची, कोयले की मांग की मात्रा, किस एजेंसी से कोयला भेजा जाएगा, सहित सभी जानकारी भेजनी होती है. इसके साथ ही गुजरात सरकार को स्टेट नॉमिनेटेड एजेंसी (एसएनए) की सूची भेजनी होती है. SNA का मतलब राज्य सरकार की तरफ से नामित एजेंसी है, जो राज्य के लाभार्थियों, लघु उद्योगों, छोटे व्यापारियों तक कोल् इंडिया से कोयला ले जाने के लिए अधिकृत है. गुजरात सरकार द्वारा कोल इंडिया को भेजी गई सूचना गलत निकली. दस्तावेजों के मुताबिक जिन उद्योगों के नाम पर कोल इंडिया से कोयला निकाला जाता था, वहां कोयला पहुंचा ही नहीं.

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एजेंसियां ​​हर साल गुजरात के मुनाफे वाले उद्योगों के नाम पर कोल इंडिया से कोयला खरीदती हैं, लेकिन एजेंसियां इन्हें उन उद्योगों को देने के बजाय, खुले बाजार में कोयले को महंगे दामों पर बेचकर करोड़ों रुपये की कमाई और कोयला घोटाला करती हैं. हो सकता है कि एजेंसियों ने इस खेल के लिए नकली बिल बनाए हों और इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स और जीएसटी की चोरी की हो. दूसरे राज्यों में, राज्य सरकार के एक विशेष विभाग, एसएमई को कोयले के वितरण का काम सौंपा जाता है, जबकि गुजरात में वर्षों से इसके लिए कुछ चुनिंदा एजेंसियों को ही नियुक्त किया गया है. इतना ही नहीं कोल इंडिया की वेबसाइट पर अन्य राज्यों ने वित्तीय वर्ष के अनुसार कोयले की मात्रा, संबंधित एजेंसी/कार्यालय का पूरा नाम, टेलीफोन नंबर, ईमेल पता आदि की जानकारी दी है, जबकि गुजरात सरकार ने सूचना कॉलम. एजेंसी का नाम abcd, asdf  के रूप में और संपर्क नंबर 999999999 दिया है.

यह बात दिलचस्प है कि श्री नरेंद्र मोदी (2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री थे) इसके साथ ही गुजरात सरकार के उद्योग, खान और खनिज विभाग (दिसंबर 2007 से दिसंबर 2012) के ज़िम्मेदार रहे हैं. इसके बाद विजय रोपानी (अगस्त 2016 से सितंबर 2021 तक) और भूपिंदर पटेल (सितंबर 2021 से) गुजरात सरकार के उद्योग, खान और खनिज विभाग के जिम्मेदार हैं.

गौरव वल्लभ ने मांग रखी है कि कोयला घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश के अधीन एक जांच समिति का गठन किया जाना चाहिए, जो निर्धारित समय के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट पेश करे. इस कोयला घोटाला मामले में 2008 से लेकर अब तक गुजरात के चारों मुख्यमंत्रियों (नरेंद्र मोदी, आनंदी बेन पटेल, विजय रोपानी और भूपिंदर भाई पटेल) की भूमिका की जांच होनी चाहिए.